This unique Poem authored by our Founder Shri Mayank Mohanka, FCA, beautifully captures the aspirations and expectations of the common man, middle class, salaried class and businesses, from the upcoming Union Budget 2023. Just Read it to feel and cherish this poetic marvel, resonating so realistically, your own Budget aspirations and expectations.
‘आम नागरिक की बजट अभिलाषा’
[मयंक मोहंका की कलम से]
आम बजट २०२३ लेकर के आए, खुशाली और प्रगति की नई आशा।
इस कविता के माध्यम से प्रस्तुत करता हूँ मैं, आम नागरिक की बजट अभिलाषा॥
चूंकि अब कर चुकी हैं हमारी आदरणीय वितमंत्री जी, बजट २०२३ का हलवा परोस।
देखने को उत्सुक हैं हम सभी, ये बजट भरता है भारतीय अर्थव्यवस्था में कितना जोश॥
आम नागरिक की इस आम बजट से बस यही है आस।
कि ये बजट २०२३ लेकर के आए, उस हलवे जितनी ही मिठास॥
मिडल क्लास तो इस बजट से बस यही चाहे।
कि महंगाई का भूत, बस अब और ना सतावे॥
सैलरीड क्लास, जो रहती है अपने बिलस और लोन्स ईएमआई से आहत।
बस चाहे, स्टैन्डर्ड डिडक्शन मे बढ़ोतरी की इक छोटी सी राहत।।
व्यापारी तो बस चाहे इतना कि उसका चलता रहे निर्विघ्न व्यापार।
बड़ती जीएसटी और इंकम टैक्स कम्पलायीनसिस का अब और ना हो अत्याचार।।
रिफन्ड आने में हो ना अब कोई भी देरी।
बिजनस वर्किंग कैपिटल की बिना रुकावट, चलती रहे फेरी।।
टीडीएस और टीसीएस का अब आए ना कोई भी नया सेक्शन।
क्यूंकी हर एक बढ़ता सेक्शन, कर रहा है ‘ईज़ ऑफ डूइंग बिजनस’ का डाईसेक्शन।।
फर्मस और एलएलपीस भी चाहें टैक्स स्लैब रीडक्शन में समानता का अधिकार।
तभी तो संभव होगा समावेशी विकास का सपना साकार।।
हमारी आदरणीय वित्तमंत्री जी से बस यही है आशा।
कि पूरी होंगी हम सबकी ये सभी बजट अभिलाषा॥
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The Youtube Link of this Poem's Recital by our Founder Shri Mayank Mohanka is https://www.youtube.com/watch?v=ob_zC9ctF4M
The pdf file of this Poem is also enclosed as per pdf file below.